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Thursday, May 25, 2017

सहारा

लडखडाओ तुम कभी, जब ठोकरों की चोट से,
और करीब कोई सहारा न हो,
संभल जाना ये जानके, मैं साथ हूँ तुम्हारे|

(Ch:
  साये की तरह हर पल, साथ हूँ तुम्हारे,
   सांसों में, दिल की धड़कन में, साथ हूँ तुम्हारे)

टूटने लगे जब सपने, हकीकत की ज़मीं पर,
और नए सपने देखने से, लगता हो डर,
बिखर न जाना तुम, सपना हो तुम मेरे|
(Ch:
  आँखों में छिपे सपने की तरह, साथ हूँ तुम्हारे,
  ऋतु ग़म की हो या बहार की,साथ हूँ तुम्हारे)

औरों को देख आबाद, घर अपना लगे बर्बाद,
और हताश कोशिशों से, जीना लगता हो बेमानी,
समझ लेना सब कुछ है, जो साथ हूँ मैं तुम्हारे|
(Ch:
  हर चाह में, हर आह में, साथ हूँ तुम्हारे,
  हर जीत में, हर हार में, साथ हूँ तुम्हारे)

हौसलों की भर उड़ान, छू लो मंज़िल-दर-मंज़िल,
और हासिल पे तुम्हारे, कभी लगे जो लगाम,
राह का काँटा समझ, चलते जाना-रुकना नहीं,
मेरी दुआएं हैं, सदा साथ तुम्हारे|
(Ch:
  हर सज्दे में, हर मन्नत में, मौज़ूद हो तुम,
  हर जंग में, हर जश्न में,साथ हूँ तुम्हारे)

कुछ नया करने की चाह हो, रास्ते अनजान हों,
और साथ न हो कोई,
तन्हा ही चल पड़ना, साथ हूँ हर सफ़र तुम्हारे|
(Ch:
  हर राह में, हर मोड़ पर-साथ हूँ तुम्हारे,
  हर सोच में, हर खोज में, साथ हूँ तुम्हारे)

संभल जाना ये जानके, मैं साथ हूँ तुम्हारे|
समझ लेना सब कुछ है, जो साथ हूँ मैं तुम्हारे|
बिखर न जाना तुम, सपना हो तुम मेरे|

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