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Tuesday, December 26, 2017

जीवन

जीवन यदि प्राची से उदित दिवाकर की आभायुक्त रश्मियों की भांति लालिमायुक्त व उदभासित है, वहीँ तुषार के धुंधलके में छिपा कोई रहस्यात्मक आवरण है|

जीवन की विभिन्न अनुभूतियाँ मनुष्य के अन्तरतर में विभिन्न भावों का प्रवाह उसी प्रकार कराती हैं यथा विभिन्न रंग विन्यासों में अंकित कोई चित्र भिन्न कोणों से भिन्न भिन्न बिम्बों को धारण करता है|

2 comments:

aria said...

Zindagi Roz naye rang badalti Kyun hai...

Chaitanya Jee said...

ज़िन्दगी से कभी रूबरू होंगे, तो ये सवाल ज़रूर पूछेंगे :)

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