Search

Saturday, July 30, 2016

न जाने क्या ढूंढता हूँ मैं

न जाने क्या ढूंढता हूँ मैं,
एहसास दर्द का, या दिल का सुकून?
सांसों की धड़कन, या जीने की वजह?
फिज़ा है मायूस, हवा है खामोश,
तेरे बिन सब है सूना,
साथिया तू है कहाँ?

कोई मंजिल अब नहीं, रास्ते हैं अंजान,
कोई हसरत अब नहीं, हौसलें हैं पशेमान,
एक टीस सी है बस, चीरती रहती मुझे,
तेरी तलाश है हर पल, हर पल तेरी तलाश,
तेरे बिन सब है सूना,
साथिया तू है कहाँ?

तुम ही थे मेरी दौलत, तुम से  रौशन मेरा ज़हां,
वादा था जुदा न होंगे, क्यूँ कर गए यूँ तन्हा,
खुदा भी मिल जाये, तो अब चैन न मिले,
ओ मेरी खुदा!, सुन मेरी रूह की सदा,
तेरे बिन सब है सूना,
साथिया तू है कहाँ?

अश्क भी नहीं बहते, जम सा गया है दर्द,
हर इलाज़ बे-असर है, जाने कैसा है ये मर्ज़,
तुम्हे भूलना कितना भी चाहा, ये कोशिश है नाकाम,
मौत जब तक आती नहीं, अब ज़िन्दगी तेरे नाम,
तेरे बिन सब है सूना,
साथिया तू है कहाँ?

Sunday, July 3, 2016

'तुम खामोश हो तो रहो'

तुम खामोश हो, तो रहो,
तुम्हारे सूने लफ़्ज़ों की आवाज़, मुझ तलक फिर भी आती है|

तुम रूबरू नहीं, फिर भी तुम्हारी यादों की स्याही,
मेरे दिल की कलम से, नज्में लिखवाती है|

ढूंढता फिरता हूँ तुम्हे, हर दूसरे चेहरे में,
तुम्हारी जुस्तजू के जुनून ने, मुझे आशिक बना रखा है|

मोहब्बत को इबादत समझा, दिल-ओ-जान से चाहा तुम्हें,
मेरी शराफत को तुम, मेरी नाकामी समझते रहे|

ये इश्क की चालें, ये तल्खी बेनियाज़ी,
मुझे पता है ये, तुम मेरा इम्तिहान ले रहे हो|

तुम और करीब आओ, तो इज़हार करें हाल-ए-दिल,
जान से लगा के, जन्नत का रुख करें|

तमाम उम्र कर लेंगे, तुम्हारा इंतज़ार तो मगर,
शायद इतना टूट जायेंगे,  तुम्हे आगोश में न ले पाएंगे|

ये तुम्हारी लम्बी ख़ामोशी, दबा गुस्सा, एक अंदाज़ तो है,
जान लो मगर, नज़रों से गिरा दिया तो उठा न पाउँगा|

ये दुनिया है गर एक झूठा सपना, और ज़ज्बात महज़ खिलौने,
तो ये दर्द का एहसास, इतना सच्चा क्यूँ है?

ऐ खुदा, तू तो कोई चालबाज़ जालिम नहीं,
फिर जो मेरा हक है, क्यूँ मयस्सर नहीं मुझे ?
Creative Commons License
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License.