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Friday, February 9, 2018

सख्ती


सख्ती हमने बहुत दिखाई,
अरमानों को मार दिया,
युक्ति मगर यह काम न आई,
उसने न फिर भी भाव दिया|

उनको हम कैसे बतलाएं?
अपने दिल का हाल है क्या?
प्यार मेरा है दीपशिखा सा,
उज्जवल और सुवास भरा|

सोचा उनको भूल जायेंगे,
ये दिल कब तक तडपेगा?
उन्हें भुलाने का ये असर है,
दिल अब और तड़पता है|

ऐसे तुम उतरे जेहन में,
तन-मन में हो छा से गए,
खुद को मैं ढूढू अब कैसे?
दिखते तुम ही तुम हर सूं|

क्यूँ हो यूँ पाषाण-हृदय?
बोलो मेरी खता है क्या?
तुमको शिद्दत से चाहा,
अब ये भी कोई गुनाह हुआ?

सुन लो मेरी आवाज़ रूह की,
तुम तक जो ये 'सदा' पहुचें,
दूर मेरे तुम कितने भी हो,
सीने से तुमको लगा रखते|

शब्दार्थ: सुवास - Fragrance, जेहन - Psyche, हर सूं - Every direction, खता - Mistake. शिद्दत - Intensity, सदा - Echo

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