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Sunday, June 18, 2017

खुशबू

तेरी यादों का झोंका आया,
खुशबू है तेरी साथ लाया,
अरमां हैं उठे फिर दिल में,  
तूने जादू ये कैसा कर डाला?
बयाँ मैं कैसे करूँ तुझसे, अपना हाल-ए-दिल,
हर एक चेहरे में दीखता तेरा ही चेहरा है|

अधूरा मिलना था अपना, अधूरी बातें थीं,
कशमकश से भरी, वो मुलाकातें थीं,
जो सब कुछ कहना था, अब कैसे कहूं?
दिल की धड़कन को, तेरी मैं कैसे सुनूं?
ऐ मुक़द्दर! बता आखिर तेरी रज़ा क्या है?
मोहब्बत करने की ऐसी भी ये सजा क्यूँ है?

भरोसा है वक़्त पर, फिर मिलन होगा,
गुफ्तगू नज़रों से होगी, किस्सा-ए-दिल होगा,
एक हो जायेंगे ऐसे कि फिर न बिछड़ेंगे,
इश्क के इस सफ़र का ये हसीं इंतिहा होगा,
ऐ रब! तुझे है सब खबर, रहम कर, तू करम कर,
सहर कर शब्-ए-हिज़्रा की, अब और न बेसब्र कर|
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