कह न सके हम, ये मेरी सांसों
की सच्चाई है,
तू है तो रब है, वरना जीना रुसवाई
है|
तुम्हें भूलते भी हैं, तो
फिर याद करने को,
तेरी चाहत, मेरे वजूद की
रानाई है|
एक मुद्दत हो गए, आपके
दीदार को,
बहार मेरे कूचे में, इस बरस
भी नहीं आई है|
ये जो फासले हैं, मेरे और तेरे
दरमियाँ,
आगे बढ़ो तो वस्ल है, बैठे
रहो तो खाई है|
ढूंढते हो आशियाँ, यूँ ही दर-ब-दर,
तुम्हारा मकां तो, मेरे दिल
की गहराई है|
हिज्र के लम्बी रात की,
आखिर कब होगी सहर?
आ भी जाओ अब, बेताब हसरतों
ने ली अंगड़ाई है|
कुछ मेरी खता होगी, कुछ
तेरी गलतियाँ,
ये है इश्क की मुश्किलें,
नहीं किसी की बेवफाई है|
शब्दार्थ: रब - God, रुसवाई - Disgrace, रानाई - Beauty, दीदार - Sight, कूचा – Street, वस्ल - Union of lovers, आशियाँ - House, दर-ब-दर – Door
to door, हिज्र – Separation, सहर – Morning, हसरतों - Desires, बेताब – Impatient, खता – Mistake