तेरी यादों का झोंका आया,
खुशबू है तेरी साथ लाया,
अरमां हैं उठे फिर दिल में,
तूने जादू ये कैसा कर डाला?
बयाँ मैं कैसे करूँ तुझसे, अपना
हाल-ए-दिल,
हर एक चेहरे में दीखता तेरा
ही चेहरा है|
अधूरा मिलना था अपना, अधूरी
बातें थीं,
कशमकश से भरी, वो मुलाकातें
थीं,
जो सब कुछ कहना था, अब कैसे
कहूं?
दिल की धड़कन को, तेरी मैं
कैसे सुनूं?
ऐ मुक़द्दर! बता आखिर तेरी रज़ा
क्या है?
मोहब्बत करने की ऐसी भी ये सजा
क्यूँ है?
भरोसा है वक़्त पर, फिर मिलन
होगा,
गुफ्तगू नज़रों से होगी,
किस्सा-ए-दिल होगा,
एक हो जायेंगे ऐसे कि फिर न
बिछड़ेंगे,
इश्क के इस सफ़र का ये हसीं इंतिहा
होगा,
ऐ रब! तुझे है सब खबर, रहम
कर, तू करम कर,
सहर कर शब्-ए-हिज़्रा की, अब
और न बेसब्र कर|