कैसे जईबा बबुआ रेलिया से बम्बैया,
टरेनवा पलिटाई जाई ना,
कहें जावत नाही बसवा पे
लदाई के,
सड़कियो धँसी जाई कहीं का|
कहियों रोज़गार नाही, कैसे कमईबा,
बिना परदेश गईले, घर कैसे
चलईबा,
घर में पत्नी रोये, दुवारे महतारी,
उपाय कौनो बुझईते नाही बा|
धर्म, जाति, भाषा भेद, पर बटी
गईला,
गुंडा, बाहुबली के, आदर्श बनउला,
भटकत, व्यर्थ कईला आपन जवानी,
सुराजिया ऐसे कईसे आई ना|
केहू के भरोसा नाही, स्वयं
ही विचारा,
नव-उद्योग, व्यापार, अधुना पालनहारा,
चहुमुखी विकास के बनाला
धर्म-ध्येय,
किस्मतिया चमकाई जाई ना|
एक-एक ईंटा से बनेला भवनवा,
सतत प्रयास करिहा, हार नाही
मनिहा,
बनि जा स्वच्छ, स्वस्थ, सजग, स्वावलम्बी,
सर्वत्र मंगल होई जाई ना|
तजि दा जाति, धर्म के
संकीर्ण विभाजन,
प्रगति-पथ प्रशस्त होईहे ना,
बरसी प्रीति-पुष्प तोहरे
अंगनवा,
सुदृढ़, सुरक्षित भविष्य होई
ना|