Search

Wednesday, March 10, 2010

स्वर्ग

काश ऐसा होता!
काश ऐसा होता,
प्रातः उदित सूर्य की रश्मियों का प्रथम सुखद स्पर्श,
उसी ताजगी के साथ दिन भर हमारे साथ रहता,
रात्रि के चन्द्रमा का धीमा, पीत, शीतल प्रकाश,
हमारी शय्या का बिछावन बन हमें लपेटे रहता,
नव कुसुमित पुष्पों का उत्साहपूर्ण स्मित अपनी निश्छलता
और पवित्रता के साथ हमारे अधरों पर खेलता,
काश ऐसा होता!

काश ऐसा होता,
कि जीवन की लम्बी यात्रा में गंतव्य को न जानते हुए भी,
फिर भी चलना तो है ही, अतः हम मस्तमौला पथिक की भांति,
संशय, हताशा, भय, अवसाद छोड़ प्रतिपल आनंदित गतिमान रहते,
काश ऐसा होता!

काश ऐसा होता,
कि कभी न ख़त्म होने वाली हमारी इच्छाएं इतनी छोटी व सरल हो जातीं,
कि उनकी तुष्टि असंभव न रहती,
संतोष रुपी धन का धैर्यपूर्वक कोष सदैव हमारे साथ रहता,
जिससे हम अविचलित, अनुद्द्हत, संतुष्ट व सुखी होते,
काश ऐसा होता!

काश ऐसा होता,
कि असफलताओं की पीड़ा हमें चोटिल नहीं करती,
सफलताओं की प्राप्ति हमें अकेला नहीं करती,
हम सफलता, असफलता से परे होकर शुद्ध खेल भावना से प्रेरित,
एक साथ मिलकर सफल होते,
काश ऐसा होता!

काश ऐसा होता,
कि हमारे कदम एक साथ बढ़ते,
हमारी प्रवृत्तियां - स्वस्थ, सुन्दर व सुखकारी होतीं,
तथा हमारी एकता अखंडित रहती,
काश ऐसा होता!

काश ऐसा होता,
कि निर्धनता का क्रूर दैत्य सदैव के लिए नष्ट हो जाता,
सम्पन्नता व समानता का सावन का मेघ गरज कर बरस पड़ता,
और सुख की जीवनदायिनी सरिता आनंद के महासागर में समा जाती,
काश ऐसा होता!

काश ऐसा होता,
कि हमारा अहम् इतना व्यापक होता जो सब कुछ स्वयं में समाहित कर ले,
अथवा इतना सरल कि गलित होकर स्वयं को पूर्णतया विस्मृत कर दे,
सौंदर्य का दर्शन मात्र आकर्षण न होकर,
हमें पूर्णतया बींधकर सदैव आलोकित कर देता,
काश ऐसा होता!

काश ऐसा होता,
काश ऐसा ही होता,
काश ये सब कुछ होता,
तो क्या ऐसे सुन्दर, सलोने, सुखद व सुरक्षित स्वपन को ही हम स्वर्ग नहीं कहेंगे?

No comments:

Creative Commons License
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License.