उद्यमी तुम, वीर तुम,
साहसी तुम, धीर तुम,
विशाल ध्येय, महत कार्य,
चल पड़े, निकल पड़े |
निर्माण नव, उत्साह नव,
संकल्प नव, अभिव्यक्ति नव,
कठिनाइयों से भय नहीं,
मंजिल तथापि तय नहीं|
चुनौतियाँ प्रचंड हैं,
संसाधन भी अल्प हैं,
शनैः, शनैः, कदम, कदम किन्तु,
ऊंचाईयां छू जायेंगे|
न साथ कोई मित्र है,
एकान्त सी यह यात्रा,
सृजन को आतुर हो जो,
बस है उसी की पात्रता|
असफल हुए तो क्या हुआ?
इस अपमान में भी मान है,
दृष्टि हो दूरगामी यदि,
पराजय भी एक पड़ाव है|
थकना नहीं, मुड़ना नहीं,
दृढ़ता तुम्हारी शस्त्र है,
हतोत्साहित न होना कभी,
आत्म-विश्वास कवच-वस्त्र है|
रचयिता तुम भारत-भविष्य के,
विकास-रथ के सारथी,
नव-युग की आपदाओं से रक्षक,
प्रगति-यज्ञ की आशीष-आरती|
धन्य है जननी तुम्हारी,
तात और वसुंधरा,
धन्य हैं गुरुजन तुम्हारे,
धन्य बन्धु और सखा|
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